एक लड़की की अधूरी प्रेम कहानी दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी हिंदी में
दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी हिंदी में: नमस्कार दोस्तों! आज हम आपके साथ एक "Hindi Love Story" शेयर करेंगे, उम्मीद है आपको यह प्रेम कहानी बहुत पसंद आएगी। यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जो अपनी बोरिंग लाइफ से बोर हो चुकी है और अब उसे प्यार की जरूरत है। क्या इस लड़की को मनचाहा प्यार मिल पाएगा? पढ़िए यह कहानी। अगर आपको यह "हिंदी लव स्टोरी" पसंद आए तो कमेंट के जरिए जरूर बताएं।
एक अधूरी लव स्टोरी - एक सच्ची प्रेम कहानी
दिल्ली......! जिस रफ्तार से ये शहर चलता है, जिंदगी यहीं रुक गई है। इन लोगों को देखकर ऐसा लगता है जैसे ये किसी के आने का इंतजार कर रहे हों। इन सबके बीच मैं भी इंतजार कर रहा था। लेकिन किसी के पास आने के लिए नहीं बल्कि किसी के पास जाने के लिए। अब मेरे मन में जरा सा भी भ्रम नहीं था, बस उनसे मिलने का इंतजार था। जरा सी भी उलझन रह जाती तो मुझमें इतनी ताकत नहीं होती कि मुझे रोक सके। मुझे लगा कि मुझे चिल्लाना चाहिए और पूरी दुनिया को बताना चाहिए कि मुझे उससे प्यार हो गया है। और कल मैं उसे व्यक्त करने जा रहा हूँ।
लेकिन मैं कैसे बता सकता हूँ? काश मेरी कोई छोटी बहन या कोई दोस्त होता! ताकि मैं अपने मन की बात कह सकूं। मुझे अपनी माँ को बताने का मन कर रहा था। लेकिन फिर मेरी उलझन और बढ़ गई! जब मैंने सोचा कि - अगर उसे पता चल गया तो वह मुझे घर से बाहर भी नहीं निकलने देगा। वह गांव से जरूर निकल गया था लेकिन उसके विचार वहां नहीं थे। वैसे भी पापा मम्मी इन बातों पर कहां विश्वास करते हैं और मेरी सुनने वाले कहां थे। हम गाँव से आते हैं और शहर में जरूर रहते हैं! और पापा भी ऊँचे पद पर सर्विस मैन हैं। लेकिन उनके विचार अभी भी ग्रामीण हैं। यह सोचकर मैं डर जाता हूं। पर क्या करूँ? मुझे अपनी प्रेम कहानी किसके साथ साझा करनी चाहिए?
पर मैं उसे भूल भी नहीं सकता। क्योंकि मैं उसे बहुत पसंद करता हूं। अच्छा छोड़ो! इसी उलझन को ध्यान में रखते हुए मैं अपने कमरे में आ गया। और हेडफोन लगाकर वह अपने कमरे में गाने सुनने लगी और नाचने लगी। कुछ समय हो गया था। तभी थोड़ी देर में दूसरे कमरे से आवाज आई - ''आज तुम सोने नहीं जा रहे हो? बेटा, 11 बजे हैं! तुम सुबह कॉलेज क्यों नहीं जाते हो?''पर आज मेरे कदम कहाँ रुकने वाले थे? इतनी खुशी थी कि शब्दों में बयां करना मुश्किल था। मैंने नाचते हुए कहा - "हाँ माँ, मैं अभी सोने जा रहा हूँ, तुम सो जाओ।" आज भले ही किसी ने मेरे नाचने का मज़ाक उड़ाया हो, मुझे आज परवाह नहीं थी।मैं
सिर्फ नाच रहा था, तभी पानी की तेज बूंदों ने मेरे चेहरे पर आकर मुझे अपनी आंखें खोलने के लिए मजबूर कर दिया। मुझे नहीं पता कि उस समय मेरे साथ क्या हुआ था? वह खिड़की के पास गई और उन बूंदों से खेलने लगी। और उन बूंदों को बार-बार उसके मुंह पर फेंकने लगा। मुझे नहीं पता कि मेरे दिमाग में क्या आया? मैंने खिड़की बंद की और अपनी डायरी निकाली जहाँ मैं अपने बारे में लिखता था। आज भी मैंने अपनी प्रेम कहानी के बारे में कुछ लिखना शुरू किया। लेकिन आज जो मैं लिख रहा था वह सीधे मेरे दिल से निकल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मैं डायरी के जरिए अपने मन की बात कह रहा हूं।
आज पहली बार मैंने किसी को अपनी आँखों से बात करते देखा था। मैं उसके पास जाकर कुछ कहता- इतना मैं उसकी ट्रेन आई और उसे अपने साथ ले गई। अगले दिन क्यों नहीं पता? सामने मंच पर उसे देखकर मुझे खुशी हुई। शायद मैं उसका इंतजार कर रहा था। खैर अब जो बातें आंखों से शुरू होती थीं वो इशारों से होने लगीं। यह बहुत अजीब था! "उसके इशारे"। मैं समझ नहीं पाया, लेकिन अपने चेहरे पर मुस्कान जरूर ला दूंगा। अब धीरे-धीरे समय के साथ मुझे उसके हाव-भाव भी समझ आने लगे। वह रोज कोई न कोई पागल काम करके मुझे हंसाता था। और एक दिन उसने हद ही पार कर दी। मुझे देखकर वह जोर-जोर से गाने लगा।
इससे पहले कि मैं उससे बात कर पाता, स्टेशन मास्टर ने उसे पकड़ लिया और अपने साथ ले गया। मैं उस दिन बहुत हंसा था। शायद मुझे भी उसकी बचपना और पागलपन से प्यार हो गया था। उसे देखकर मुझे लगा जैसे मेरा लंबा इंतजार खत्म हो गया।अब जिंदगी ने रफ्तार पकड़ ली थी। ये दिन इतनी तेजी से बीत गए कि हम दोनों को पता ही नहीं चला। हम दोनों रोज स्टेशन आते थे और अपने-अपने गंतव्य के लिए निकल जाते थे। न तो उसने कभी उसकी ओर आने की कोशिश की और न ही उस ओर जाने की मेरी कभी हिम्मत ही हुई।
कभी-कभी मेरा दिल उसके पास भाग जाता था और उसे अपने दिल की बात बताता था। और उसके संग उस यात्रा में जाना जिस पर वह जाता है। लेकिन कभी मेरा मन तो कभी मेरे पैरों ने मुझे अनुमति नहीं दी। मैं कल का इंतजार कर रहा था। कल का दिन मेरे लिए खास है, कल वैलेंटाइन डे है।अगर मैं कल उसे नहीं बता सकता कि मेरे दिल में क्या है, तो शायद मैं उसे कभी नहीं बता पाऊंगा। फिर मेरा ध्यान डायरी से उन घड़ियों की टिक-टिक सुई से हट गया जो वैलेंटाइन डे की शुरुआत का संकेत दे रही थीं।
मैंने घड़ी देखी! दिन के 12:00 बज रहे थे। आज वो दिन आ गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था। वह पूरी रात सोई नहीं थी जो उससे मिलने की इतनी जल्दी थी। सुबह जल्दी उठकर सारे काम करने के लिए तैयार हो गया। आज मैंने नाश्ता भी नहीं किया, मुझे उनसे मिलना था।आज मैं समय से पहले प्लेटफॉर्म पर पहुंच गया और पास में पड़ी बेंच पर उनके आने का इंतजार करने लगा। लेकिन काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी वह नहीं आया।